
हिन्दुस्तान में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर हैं। यहां के राज नेता सिर्फ एक दूसरे की बुराई देखते हैं। अपने अंदर की कमी का आंकलन नहीं करते हैं। कबीर की एक पंकती हैं -
बुरा जो देखन मैं चला,बुरा ना मिला कोई।
जो दिल देखा आपना मुझ सा बुरा ना कोई।
हिन्दुस्तान के राज नेताओ को चाहिए कि अपना कर्म करें और भारत को विकसीत देश बनाने की सोचें । हर काम को assignment की तरह करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि विकास के सौ पैसा में से पंद्रह पैसे गरीबों तक पंहुचता हैं। पर राहुल गांधी का मानना हैं कि अब गांव तक केवल पांच पैसा ही पंहुचता हैं। राहुल गांधी को यह हकीकत समझने में काफी देर हुई। देखना यह हैं कि युवा सांसद कितने सालों में विकास का काम करते हैं। गरीबों को कब तक पचास पैसा ही पंहुचाते हैं।
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